एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. जो 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है.
भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भविष्य में कई मिशनों को अंजाम देने वाले एक महत्वपूर्ण टेक्नॉलॉजिकल डिमॉन्सट्रेटर मिसाइल व्हीकल (एचएसटीडीवी) का बुधवार को पहला सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण डीआरडीओ ने बंगाल की खाड़ी में डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-चार से दिन में करीब 11 बजकर 25 मिनट पर किया.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सूत्रों के मुताबिक एचएसटीडीवी हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले यान के लिए मानवरहित प्रदर्शक वाहन है. जो 20 सेकेंड में मैक-छह की रफ्तार और 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है. हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर प्रयोग किए जाने के अलावा यह एक दोहरे उपयोग की प्रौद्योगिकी है, जो कई असैन्य कार्यों में भी प्रयोग की जाएगी.
20 सेकेंड में 32.5 km ऊंचाई तक जाने की क्षमता
बता दें कि ये मिसाइल अग्रि श्रृंखला से जुड़ी है. बेहद कम लागत पर उपग्रहों के प्रक्षेपण में भी इसका इस्तेमाल होगा. उन्होंने कहा कि एचएसटीडीवी 20 सेकेंड में 32.5 किलोमीटर ऊंचाई तक जा सकता है और ऐसा होने पर भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिसके पास ऐसी प्रौद्योगिकी होगी.
स्क्रैमजेट इंजन से लैस हाइपरसोनिक यान
डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में इसका परीक्षण किया गया है. एचएसटीडीवी परियोजना पिछले कुछ साल से चल रही थी. डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा, “इसके जरिए हम 15 से 20 किलोमीटर की कम ऊंचाई पर स्क्रैमजेट का प्रदर्शन करना चाहते थे. इसके तहत स्क्रैमजेट इंजन से लैस हाइपरसोनिक यान को विकसित कर रहे हैं.’’
Source : News18