केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा है कि वित्त विधेयक-2020 में प्रस्ताव किया गया है कि अगर किसी भारतीय नागरिक पर विदेश में करों की देयता नहीं है तो वह भारत का निवासी माना जायेगा। विधेयक में कहा गया है कि नये प्रावधान का उद्देश्य विदेशों में वास्तविक रूप से कार्य कर रहे भारतीय नागरिकों को भारत की कर प्रणाली के दायरे में लाना नहीं है।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने भारत में निवास से संबंधित इस नये प्रावधान पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि इसका मकसद कर नियमों के दुरूपयोग की रोकथाम करना है क्योंकि यह देखा गया है कि कुछ भारतीय नागरिक भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए अपना निवास कम टैक्स वाले या कोई भी टैक्स न लगने वाले देश में दिखा देते हैं।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि मध्य-पूर्व समेत अन्य देशों में काम करने वाले और वहां करों का भुगतान न करने वाले भारतीयों की आमदनी पर भारत में कर लगाये जाने के बारे में मीडिया की खबरें गलत हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसे भारतीय नागरिक जो प्रस्तावित प्रावधान के तहत भारत के निवासी मान लिये गये हैं उनके मामले में विदेश में अर्जित उनकी आमदनी पर भारत में तबतक कर नहीं लगेगा जबतक कि यह आमदानी भारतीय व्यवसाय या पेशे से अर्जित नहीं की गयी हो।
Source: News On Air