राज्य सभा में आज केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक 2019 पारित कर दिया, जिसमें देश के तीन विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का प्रावधान है। राज्यसभा ने इसे ध्वनि मत से पारित किया।
राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुआ मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि संस्कृत साहित्य का सबसे बड़ा भंडार और भारत की ऐसी अमूल्य धरोहर है, जिसकी एक अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि दुनिया में अनेक देशों में संस्कृत में अनुसंधान कार्य हो रहा है और कई देशों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने समूचे विश्व को संस्कृत के माध्यम से ज्ञान दिया है।
इससे पहले, बहस की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि आज संस्कृत का अध्ययन चंद लोगों तक सीमित रह गया है और देशभर में केवल पंद्रह हजार लोग इसे बोलते हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार को व्यापक रूप से बोले जाने वाली अन्य प्राचीन भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए और अधिक धनराशि आवंटित करनी चाहिए।
श्री रमेश ने मांग की कि इन विश्वविद्यालयों का नामकरण जाने-माने संस्कृत विद्वानों जैसे पाणिनि और अमरसिंह के नाम पर किया जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि संस्कृत से कई भाषाओं की उत्पत्ति हुई है। उन्होंने कहा कि संस्कृत आज लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है, क्योंकि गिने चुने लोग इसे भाषा के रूप में इस्तेमाल कर पाते हैं। समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने विद्यार्थियों की परिषदों को छात्र संघ का नाम देने का सुझाव दिया।
Source: News On Air